आयुर्वेद में ज्वर (Fever) को केवल तापमान बढ़ना नहीं माना गया, बल्कि यह शरीर के दोष असंतुलन (वात, पित्त, कफ) और आम (विषाक्त पदार्थ) के संचय से उत्पन्न स्थिति है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में ज्वर को प्रमुख रोगों का कारण कहा गया है। आधुनिक विज्ञान जहाँ इसे संक्रमण या शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रतिक्रिया मानता है, वहीं आयुर्वेद इसे शरीर का स्वाभाविक शोधन प्रयास मानता है। प्रमुख ज्वरहर जड़ी-बूटिया
गुडुची (गिलोय)
आयुर्वेद में गिलोय को “अमृता ” कहा गया है।
गुण: इम्यूनिटी बढ़ाने वाली, ज्वरहर, रक्तशोधक और शक्तिवर्धक ।
उपयोग: गिलोय की बेल से बनी ताजी डंडी को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और दिन में 2 बार पिएं।
यह डेंगू, मलेरिया और वायरल बुख़ार में भी कारगर है।
हरिद्रा (हल्दी)
गुणः प्रतिज्वर, रक्तशोधक और सूजनरोधी ।
उपयोग: हल्दी दूध या चूर्ण (2-3 ग्राम ) गुनगुने पानी से । लाभ: वायरल व बैक्टीरियल संक्रमण में मददगार ।
तुलसी
गुणः ज्वरहर, वात-कफ शमन, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली ।
उपयोग: पत्तों का काढ़ा (5-7 पत्तियाँ) दिन में 2 बार ।
• लाभ: सर्दी-जुकाम और मौसमी बुखार में बेहद उपयोगी ।
शुण्ठी (सूखी अदरक)
गुण: आम नाशक और पाचन सुधारक ।
उपयोग: अदरक क्वाथ या चूर्ण ( 2 ग्राम) शहद के साथ।
लाभ: ठंड से होने वाले बुखार और शरीर दर्द में राहत ।
नीम
गुणः रक्तशोधक, ज्वरहर और एंटीसेप्टिक ।
उपयोग: पत्तियों का रस (5-10ml) या क्वाथ।
• लाभ: त्वचा के रोग और मलेरियल बुखार में सहायक ।
पिप्पली
गुण: दीपन- पाचन, आम नाशक ।
उपयोग: पिप्पली चूर्ण (1-2 ग्राम) शहद के साथ ।
• लाभ: पुराना बुखार, थकान और कमजोरी दूर करे।
शुंठी – गुडुची संयोजन
आयुर्वेद में इनका क्वाथ “ज्वरहर क्वाथ” के रूप में प्रसिद्ध है।
• लाभ: सभी प्रकार के ज्वरों में विशेष लाभकारी ।
पपीते के पत्ते
गुणः प्लेटलेट्स बढ़ाने और बुख़ार में राहत देने वाला।
उपयोग: ताजे पत्तों का रस (10-15 ml) दिन में 2 बार ।
लाभ: डेंगू और वायरल बुख़ार में विशेष लाभ।
घरेलू नुस्खे (आसान उपाय )
तुलसी + अदरक + काली मिर्च का काढ़ा – मौसमी बुखार और सर्दी में रामबाण | हल्दी दूध – वायरल इंफेक्शन व शरीर दर्द में लाभकारी । )
गिलोय रस + शहद – डेंगू और मलेरिया में प्लेटलेट्स को स्थिर रखने में मददगार । नीम का क्वाथ मलेरिया, टाइफाइड जैसे बुखार में सहायक ।
आहार-विहार निर्देश
हल्का सुपाच्य भोजन लें खिचड़ी, मूंग दाल, सब्ज़ियों का सूप ।
तैलीय, भारी और मसालेदार भोजन से परहेज़ करें। पर्याप्त विश्राम और गुनगुना जल पिएं।
पसीना रोकने वाले कपड़े न पहनें, शरीर को खुला रखें
निष्कर्ष :- आयुर्वेद में ज्वर को केवल रोग नहीं, बल्कि शरीर का संतुलन बिगड़ने का संकेत माना गया है। गिलोय, तुलसी, हल्दी जैसी जड़ी- बूटियाँ सदियों से सुरक्षित, असरदार और सस्ती ज्वर नाशक ‘औषधियाँ मानी गई है ।आज जब एंटीबायोटिक्स और दवाओं के दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं, तब आयुर्वेदिक ज्वरहर जड़ी-बूटियाँ हमारी सेहत की ढाल बन सकती हैं।
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